हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "एहक़ाक़ुल हक़" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام المجتبیٰ علیہ السلام
مَنْ أکْثَرَ مُجالِسَة الْعُلَماءِ أطْلَقَ عِقالَ لِسانِهِ، وَ فَتَقَ مَراتِقَ ذِهْنِهِ، وَ سَرَّ ما وَجَدَ مِنَ الزِّيادَةِ في نَفْسِهِ، وَکانَتْ لَهُ وَلايَةٌ لِما يَعْلَمُ، وَ إفادَةٌ لِما تَعَلَّمَ.
हज़रत इमाम हसन (अ.स.) ने फरमाया:
जो ऊलेमा की महफिल में ज़्यादा बैठे, तो उसकी बात हकीकत बातों के बयान में आज़ाद हो जाएगी, और उसका ज़हन खुल जाएगा,और अफ्कार में वुसअत आएगी, उसकी मालूमात में इज़ाफा होगा और वह आसानी से दूसरों की हिदायत और रहनुमाई कर पाएगा।
एहक़ाक़ुल हक़, भाग 11, पेंज 238